दोस्तों , हिन्दू धर्म में स्वस्तिक है अपना एक अद्भुत महत्व है। प्रत्येक शुभ कार्य बिना स्वस्तिक बनाये पूरा नहीं किया जाता है। लेकिन वर्तमान में बढ़ते डिजिटल युग में लोग स्वस्तिक बनाना तक भूलने लगे है। या फिर हाथ स्वस्तिक बनाने की बजाय स्वस्तिक स्टीकर लगाने लगे है जो की वेदो और शास्त्रों में पूर्णतः निषिद्ध माना गया है। इस आर्टिकल में हम आपको वैदिक परम्परा के अनुसार स्वस्तिक कैसे बनाये (Swastik Kaise Banaye ) इसकी जानकारी स्टेप by स्टेप देंगे। यदि आप हमारे द्वारा बताई गयी स्वास्तिक बनाने की विधि के अनुसार स्वस्तिक बनाते है तो आपको स्वस्तिक बनाने का पूरा लाभ मिलेगा
स्वास्तिक क्या है ?
अगर हम स्वास्तिक शब्द की बात करे तो यह संस्कृत शब्द “सु” (अच्छा, मंगलकारी) + “अस्ति” (होना) से मिलकर बना है। इस प्रकार स्वास्तिक का शाब्दिक अर्थ होता है “मंगल हो” या “कल्याण हो”। ऐसा नहीं है की स्वास्तिक को सिर्फ हिन्दू धर्म में ही पवित्र माना गया है इसे बौद्ध , जैन आदि धर्मो में भी शुभ चिह्न माना जाता है। इसे न केवल भारतीय परम्परा में बल्कि संसार की अनेक सभ्यताओं जैसे प्राचीन ग्रीस, रोम, मिस्र, मेसोपोटामिया और अमरीका की आदिवासी सभ्यताओं में भी स्वास्तिक चिन्ह को शुभ माना गया है।
वेदो और शास्त्रों के अनुसार स्वस्तिक कैसे बनाये
अब हम बात कर लेते है स्वास्तिक बनाने की , वैसे तो लोक प्रचलित विधि में तो इसे बनाना बिलकुल आसान है लेकिन यदि हम शास्त्रों की बात करे तो स्वास्तिक की प्रत्येक लाइन किसी न किसी आध्यात्मिक तत्व को प्रदर्शित करती है। इसलिए स्वास्तिक का शुभ फल प्राप्त करने के लिए हमेशा शास्त्रों में वर्णित विधि का ही अपनाना चाहिए। निचे स्वास्तिक की प्रत्येक लाइन और भाग को प्रदर्शित करता हुआ चित्र है।
स्वस्तिक बनाने की विधि
यहाँ पर स्टेप बाय स्टेप स्वस्तिक बनाने की विधि बताई गयी है। इनको फॉलो करके आप शास्त्रों के अनुसार शुभ स्वास्तिक बना सकते है।
- सबसे पहले जहाँ स्वास्तिक बनाना है वहां बीच केंद्र में एक बिंदु बनाये।
- इसके बाद इस बिंदु से बाहर की ओर जाती हुयी चारो दिशाओ में चार बराबर लाइन खैंचे जैसे निचे बताया गया है। ध्यान रहे कोई भी लाइन एक दूसरे को न काटे। बीच पॉइंट पर लाइन एक दूसरे को क्रॉस न करे। प्रत्येक लाइन केंद्र से शुरू होनी चाहिए। जैसा निचे बताया गया है।
- इसके बाद चारो भुजाओ के दाहिनी ओर एक एक लाइन और खैंचे ये सभी लाइन बराबर होनी चाहिए। जैसा चित्र में बताया गया है।
- इसके बाद चारो स्पेस में चार बिंदु बनाने होंगे। जैसा निचे चित्र में बताया गया है।
- इस तरह आप वेदो और शास्त्रों के अनुसार स्वस्तिक बनकर तैयार हो जायेगा।
स्वास्तिक का वैज्ञानिक महत्व क्या है?
- अगर हम विज्ञान की दृष्टि से भी देखे तो इसकी चारो भुजा चारो दिशाओ का प्रतिनिधित्व करती है।
- इसका आकार ब्रह्मांडीय ऊर्जा के संतुलन को प्रदर्शित करता है।
- यह निरंतर गति (Rotation) और जीवनचक्र (Cycle of Life) को दर्शाता है।
- स्वास्तिक की आकृति डीएनए हेलिक्स और गैलेक्टिक घूमाव (Galaxy Spiral) जैसी प्राकृतिक संरचनाओं से मेल खाती है।
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